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The Uniform

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Poster designed by me...                   लघु कथा - "यूनिफॉर्म"                 दोपहर का समय था। एक दुबली पतली लड़की बस से उतरी। उसके साथ एक महिला भी थी। दोनों अपना-अपना सामान उठाकर आगे जाने लगे। उन्हें सामने से आते देखकर कुछ लड़के छींटाकशी करने लगे। वहीं पड़ोस के एक लड़के मन्नू ने ......उन लड़कों को यह सब ना करने को कहा, तो उन बदमाश लड़कों ने मन्नू को धमका चमका कर चुप करा दिया। वह लड़की और महिला वहीं रहने के लिए किसी परिचित के घर आए थे। दो-तीन दिन बाद बहुत सारे लड़के उस मोहल्ले में आते जाते दिखने लग गए। आस पड़ोस के लोग उन लड़कों को कुछ कहने के बजाय, मोहल्ले में आई उस लड़की के बारे में ही अफवाह भरी बातें करने लग गए थे। एक हफ्ते बाद उस लड़की के परिचित के घर के सामने पुलिस अधिकारी की गाड़ी सिपाही चालक के साथ वहां पहुंची, फिर भी सभी लड़के अपनी कॉलर खड़े कर वहां चाय के ठेले और दुकान के सामने बैठे रहे। थोड़ी देर में ..... सबके मुंह खुले के खुले रह गए.... पुलिस यूनिफॉर्म पहने वही दुबली पतली लड़की...

लघु कथा- हमारी पाठशाला

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Poster designed by me. Courtesy google image.                   "हमारी पाठशाला"               एक व्यक्ति की नौकरी अध्यापक के रूप में वनांचल में लगी। पहली नौकरी थी, तो उत्साह और उमंग उन्माद भरे अध्यापन कार्य हेतु प्रस्फुटित हो रहा था। कक्षा में बच्चे भी नए अध्यापक के जोश और प्रेम पाकर बहुत खुश हुआ करते थे।                अध्यापक ने बच्चों की उपस्थिति पंजी का निरीक्षण किया, तो दिखा कि सभी बच्चे हमेशा विद्यालय आते हैं। अध्यापक ने सोचा बच्चे विद्यालय के प्रति बहुत ही सजग होंगें। अध्यापक जी ने बच्चों के ज्ञान का परीक्षण किया तो पाया कि अन्य क्रियाकलापों और व्यावहारिकता को छोड़कर, बच्चों का विद्यालयीन गतिविधियों में कोई रुचि नहीं था।               अध्यापक ने बच्चों से पूछा - आप सभी बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में अधिक है, उसके बावजूद भी आपको पढ़ने लिखने में रुचि क्यों नहीं?  सभी बच्चे शांत थे।  तभी बच्चों के बीच म...

लघु कथा- संस्कार

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Image courtesy - google search                 लघु कथा - "संस्कार"           लगभग शाम को 4:00 या 4:30 बज रहे थे। मैं बरामदे पर टहल रहा था उसी समय कुछ बच्चे नीचे खेल रहे थे। तभी वहां एक अनजान बच्चा, जो शायद! अपनी मां से बिछड़ गया था। उसके हाव भाव से साफ पता चल रहा था कि वह बहुत परेशान है। देख कर प्रतीत हो रहा था कि वह काफी दूर से रोते बिलखते आ रहा होगा।             तभी जो बच्चे खेल रहे थे, उन्हीं बच्चों में से एक बच्चे की नजर उस रोते बिलखते बच्चे पर पड़ी, और उसने अपने मित्र मंडली के साथ कुछ योजना बनानी शुरू कर दी, फिर सभी अलग अलग होकर पेड़ के पीछे, कोई दीवार के पीछे, कोई कहीं पर, छुप गए और सब के हाथ में छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े थे।               उन्हीं बच्चों में से एक बच्चे की नजर मुझ पर पड़ी, उसने बड़ी विनम्रता के साथ अपनी आंखें झुका कर वहां से निकलकर आगे जाने लगा। उसके साथी लोगों ने उससे पूछा कि कहां जा रहा है ? तो उसने अपनी आंख से ही...

फैन नं १ Ep. - VI [फाइनल सॉल्यूशन???]

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poster designed by me.                               फैन नं #१                               Ep. - VI                      = [फाइनल सॉल्यूशन???] = (पिछले अंक में आपने पढ़ा कि माननीय न्यायालय ने जांच समिति को रुपर्णा के मौत की जांच हेतु केस को नये सिरे से पड़ताल करने हेतु आदेश दिये। अक्षिता और अचिन्त्या सबसे अधिक संदेही रहे । रुत्विका और राहिल दोनों अपने जीवन शैली बदल चुके थे । जांच समिति के प्रेस वार्ता करने से कुछ दिन पहले ही जांच समिति के कार्यालय से सारे दस्तावेज गायब हो गये । रुत्विका के पास एक अज्ञात कॉल आया और उसने रुत्विका को "रुपर्णा केस" से संबंधित सारे दस्तावेज लेने हेतु, एक पते पर मिलने आने की बात कही.....) अब आगे.....       ...

फैन नं - १ Ep. - V [An Unknown Call]

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Image - Google courtesy                              फैन नं #१                               Ep. - V                  = [ An Unknown Call ] = ( पिछले अंक में आपने पढ़ा कि गेस्ट लिस्ट में रूत्विका एवं राहिल के कुछ दोस्तों के नाम रुपर्णा ने काट दिए। राहिल को अच्छा नहीं लगा वह रुपर्णा के साथ बहस किया फिर गुस्से में वहां से चला गया। अक्षिता ने पार्टी की व्यवस्था और निमंत्रण पत्र बांटने की जिम्मेदारी स्वयं ले ली। पार्टी के दिन रुपर्णा की तबीयत थोड़ी खराब लग रही थी, अक्षिता ने पारिवारिक डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाएं दी। पार्टी में सभी बड़े निर्माता और निर्देशक रुपर्णा और  रूत्विका को बधाई दे रहे थे। रुपर्णा,अचिंत्या...

फैन नं १ Ep -IV [द डैथ]

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Poster designed by me, google courtesy.                     फैन नं #१                        Ep - IV           =THE DEATH (द डैथ)= (पिछले अंक में आपने पढ़ा कि रुपर्णा और अक्षिता गुरुजी से मिलने गांव पहुंचे। गांव पूरी तरह बदल चुका था। जब वह गुरुजी के बारे में गांव वालों से पूछी तो गांव वाले गुरुजी और उनके लड़के के लापता होने की बात बताए। उसके बाद रुपर्णा शहर आकर कुछ सालों बाद एक बहुत बड़े व्यवसाई से शादी कर ली। उनके दो बच्चे रूत्विका और राहिल थे। कम उम्र में ही रूत्विका बहुत बड़ी कलाकार बन चुकी थी। रूत्विका को उसकी पहली सुपरहिट फिल्म के लिए फिल्म जगत का बहुत बड़ा पुरस्कार मिलने वाला था। पर उससे पहले अचिंत्या, रूत्विका के लिए एक बहुत बड़ी पार्टी करने की बात बोला।) अब आगे..... सब लोग पार्टी की तैयारी में जुट गए। रुपर्णा गेस्ट लिस्ट तैयार कर रही थी। राहिल और रूत्विका भी अपने कुछ दोस्तों की लिस्ट रुपर्णा को दिखाए। रुपर्णा, रूत्विका के लिस्ट से एक ...

फैन नं १ Ep.- III [साजिश]

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Poster designed by me with the help of google image.                               फैन नं #१                                 Ep.-III                               = साजिश = (पिछले अंक में आपने पढ़ा कि राधिका मुंबई में एक सफल अभिनेत्री बन चुकी थी। मायानगरी ने उसे रुपर्णा नाम दिया। अक्षिता और रुपर्णा में अच्छी दोस्ती हो गई थी। रुपर्णा को गांव की बहुत याद आती है और अक्षिता के साथ वह गांव के लिए निकल जाती है। अब आगे....) गाँव को देख कर रुपर्णा एक दम से स्तब्ध रह गई। गाँव पूरी तरह बदल चुका था। गांव में अधिकतर लोग अब शिक्षित और अपने अपने रूचि के अनुसार काम करने लग गए थे। कहीं नृत्य शाला, व्यायाम शाला, विविध प्रशिक्षण हेतु कार्यक्रम और कार्य शाला , लघु उद्योग खुले थे तो गांव प्राकृतिक चिकित्सा एवं नई तकनीकी का प्रयोग कर रहा था। गांव की सोच और काम करने के त...

फैन नं १ Ep.-II [गांव चलें]

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Image - google. Poster designed by me.                           फैन नं #१                            Ep.-II                        = गांव चलें =   (पहले भाग में आपने राधिका को अपने मेहनत और गुरूजी द्वारा दिए गए आत्मविश्वास के दम पर माता पिता के साथ मुंबई जाने तक की कहानी सुनी अब आगे... )                   राधिका बहुत ही छोटे से गांव से अपना भविष्य बनाने के लिए माया नगरी पहुंची। मुंबई की भव्यता और चका-चौंध को देख कर राधिका और उसके माता-पिता पूरी तरह से खो चुके थे। कुछ दिनों के बाद राधिका को गुरूजी ने ऑडिशन से संबधित समस्त जानकारी देते हुए अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ जमीन से जुड़े रहकर काम करने की सलाह दी।                       राधिका ने अपने फिल्मी कैरियर के शुरुआत हेतु बहु...

फैन नं १ Ep.I [गुरूजी का साथ]

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Image- by Google                          फैन नं #१           =गुरूजी का साथ (Ep. - I)=                       राधिका एक बहुत ही होनहार और बहुत ही प्यारी लड़की थी। साथ ही उसे अभिनय का बहुत ही शौक था। जब भी स्कूल में कोई भी कार्यक्रम होता था। वह विभिन्न प्रकार के नाटक, व्यंग्य और नृत्य कला के द्वारा सबको मोह लेती थी। राधिका को राज्य स्तर तक कई पुरस्कार मिल चुके थे। राधिका के कला को निखार गांव में स्कूल के एक ऊर्जावान और हमेशा बच्चों को प्रेरित करने के लिए कार्यरत विज्ञान विषय के गुरुजी दिया करते थे। गुरुजी सभी बच्चों के कला को समान सम्मान करते थे। उनके लिए जो कुछ करना पड़े वह हर संभव प्रयास करते थे। उन्हीं सब बच्चों में से एक राधिका भी थी। उन्होंने राधिका की कला को निखारने हेतु अपने सहयोगी शिक्षिकाओं तथा अपने क्षेत्र के और विभिन्न कलाकारों को बुलाकर उसको प्रशिक्षण भी दिलवाते थे । शायद उन्हें राधिका की खूबियों का पता चल गया था और...

मोबाइल - एक गिफ़्ट -३ [ पैसों का जुगाड़ ]

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सौ. गूगल इमेज                       = मोबाइल - एक गिफ़्ट =                              < भाग - ३ >                          [ पैसों का जुगाड़ ]   कहानी अंक - २ में अब तक......           राहुल, महेश को उसके जन्मदिन पर गिफ़्ट मे मोबाइल देता है और साथ ही मिथिलेश के एक्सीडेन्ट के बारे में बताता है। जैसे ही मिथिलेश, महेश के घर पहुँचता है, महेश उससे माफ़ी मांगता है । राहुल और मिथिलेश के बार बार पुछने पर महेश अपने उदास होने का कारण बताता है कि... जिस बाईक वाले के कारण मिथिलेश गिरा वह बाईक वाला कोई और नहीं महेश खुद था ।         [ अब आगे...... ]                 महेश( मिथिलेश की ओर घबराते हुए देख कर कहता है )- मैं ..तुझे गिराना नहीं चाह रहा था। मैं तो बस चुपके से तेरे पीछे पॉकेट से मोबाइल न...

मोबाईल - एक गिफ़्ट - २ [ मिथिलेश का एक्सीडेन्ट ]

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Image : - Google search                       = मोबाइल - एक गिफ़्ट =                             < भाग - २ >                     [ मिथिलेश का एक्सीडेन्ट ] कहानी अब तक.....              महेश का मिथिलेश और राहुल के साथ थोड़ा अनबन हो जाता है । महेश गुस्से में वहाँ से चला जाता है । काफ़ी वक्त गुजर जाने के बाद भी महेश नहीं आता। तब मिथिलेश ने महेश के जन्मदिन के लिए राहुल के साथ मिलकर एक प्लान बनाया.......        अब आगे......                   एक महिने बाद राहुल, महेश के घर उसके जन्मदिन पर केक लेकर अकेले पहुंचता है। महेश थोड़ा डरा सहमा बाहर आता है। महेश, राहुल से मिथिलेश के बारे में पुछता है , लेकिन राहुल बात को टाल देता है ।  महेश के घर के सदस्य लोग बोलते हैं - चलो भाई ! जल्दी केक काटो। फ़िर राहु...

मोबाइल - एक गिफ़्ट - १ [ महेश का गुस्सा ]

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( Image - google search )                                      = मोबाइल - एक गिफ़्ट =                          < भाग - १ >                       [ महेश का गुस्सा ] मिथिलेश, महेश और राहुल तीनों में अच्छी दोस्ती थी। एक दूसरे के साथ हमेशा एक अच्छा समय बिताया कर देते थे। तीनों की दोस्ती बहुत ही अच्छी थी। महेश थोड़ा ज्यादा गुस्सैल प्रवृत्ति का था । उसे हर छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने की आदत थी ,और इसी आदत के कारण महेश और मिथलेश में कुछ ना कुछ बात को लेकर झड़प हो जाया करती थी ।                  राहुल दोनों को समझाया करता था। मिथिलेश थोड़ा ज्यादा ही लापरवाह किस्म का लड़का था। उसको मजाक मस्ती,  मोटर सायकल तेज चलाना, मोबाइल पर बात करते बाईक चलाना, मोबाइल हमेशा पीछे पॉकेट में रखना इस तरह की आदत थी। राहुल उसको कई बार इ...

पैसाें की चाह

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(सौजन्य गूगल)                     = पैसाें की चाह = एक गाँव में  मिथिलेश नाम का बहुत ही होनहार लड़का था । जिसके साथ घटित एक  घटना आज मैं आपको बताने जा रहा हूं। यह बात कुछ एक दो महीने पहले की है । मिथिलेश एक दिन अपने ताऊ जी के घर घुमने के लिए गया था। वह अपने बड़े भाई के पास जाता है, और पूछता है, पैसा कमाने का सबसे सरल तरीका कौन सा है ? बड़े भाई ने उसे ईमानदारी की चार पांच वाक्य सुनाएं और फिर कहने लगा कि अभी उम्र तुम्हारे पैसे कमाने की नहीं है। अभी पढ़ाई में ध्यान दो और अपने आगामी परीक्षा की तैयारी में लग जाओ । उसके बाद फिर जब तुम्हारी उम्र हो जाएगी। तब तुम पैसे कमाने के बारे में और अपने जवाबदारी के बारे में सोचना । कुछ बातचीत करने के बाद मिथिलेश चला गया ।                            मिथिलेश  बहुत ही होशियार था, आप समझ ही गए होंगे। कुछ दिन बाद जब वह विद्यालय गया। तब वहां उसके कुछ दोस्तों ने उसे एक  योजना के बारे में जानकारी दी । जिसमें बिना...

विश्व में राम कथा

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                  =विश्व में राम कथा= राम गाथा हमारी अमुल्य धरोहर है । राम हमारे पूर्वज हमारे ईष्ट हैं । राम अर्थात मर्यादा, जिनका नाम सुनकर व्यक्ति स्वतः मर्यादित हो जाता है । ऐसा प्यारा नाम पूरे विश्व मे धर्म, दर्शन और मर्यादा का आदर्श है । राम गाथा का महत्व हम अपने ही देश में नहीं अपितु विश्व के लगभग सभी देशों में देख सकते हैं ।                   थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के मानने वाले बहुमत में हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है, जिसे थाई भाषा में 'राम-कियेन' कहते हैंl इसका अर्थ राम-कीर्ति होता है।  (सौ. गूगल )           राम चरित मानस बहुत ही अदभुत पंक्ति लिखी गई है - "होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥"             राम गाथा हम सबके जीवन मे एक नया पन और मार्गदर्शन करता है । जो हमे अपने काबिलियत पर हमेशा विश्वास रखने और अपने लक्ष्य के प्रति सदैव सजग रहने की बात कहता है । इससे हम अपना वर्तम...

संस्कारवान

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Courtesy:- Google Image      ==बच्चों में संस्कार की कमी के मुख्य दोषी ==                      घर ही वह पहला विद्यालय है जहां बच्चा अपने जीवन के सभी मूल्यों को सीखता है और उसे व्यवहार में परिणित करता है । माता पिता ही प्रथम गुरु होते हैं। जो उन्हें उचित मार्गदर्शन देते हैं तथा उचित संस्कार देकर एक अच्छा व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।                    बच्चों में संस्कार घर से ही आता है,क्योंकि बच्चा  घर पर ही अपना ठोस समय व्यतित करता है। जो कुछ भी देखता, सुनता व महसूस करता है, उन्ही को अपने व्यवहार में प्रकट करता है।                    इसके साथ साथ परिवार में बुजुर्गों का भी मार्गदर्शन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, जो बच्चों को विभिन्न नैतिक मूल्य सिखाने के लिए पर्याप्त होते है। एकल परिवार में बच्चों का उचित दिशा में विकास कर पाना संभव नहीं है, क्योंकि अधिकांश माता-पिता स्वयं आपस में सामंजस्य बिठा नहीं...

मां का वात्सल्य

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कवर - गूगल सर्च                = माँ का वात्सल्य =              एक 'माँ' हमेशा अपने बच्चों के हित का ध्यान रखती है । वह कभी भी अपने बच्चों का अहित नहीं कर सकती। 'पुत कपुत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता' यह पंक्ति हम माता की आरती में गाते आ रहे । ये तो बच्चे ही होते हैं जो उनकी बातों को समझ नहीं पाते और अपनी कपटी बुद्धि एवं असंतोष भाव से स्वयं का घर बर्बाद करते हैं ।                   माँ अपने बच्चों को उन सभी अनुभवों से परिचित कराती है जो एक घर को घर बनाने के लिए आवश्यक होती है ।               एक माँ के द्वारा दिखाया रास्ता कभी भी समस्यात्मक नहीं हो सकता, वह तो उपचारात्मक होता है । सम्पूर्ण विश्व में केवल माँ का प्रेम ही है जो निःस्वार्थ होता है । वह माँ ही है जो बिना कहे अपने बच्चों की सारी जरूरतों को समझ जाती है।           हाँ ! यह बात अवश्य ही सत्य है कि माँ जब अपने प्रेम भाव को नियंत्रित न...

दाम्पत्य जीवन में जहर घोलता है अहम्.....

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image from google search     दाम्पत्य जीवन में जहर घोलता है अहम -                पति-पत्नी दांपत्य जीवन के 'आधार स्तंभ' हैं । यह आधार स्तंभ समानता और आदर भाव के  बल पर टिका हुआ है।          जब हम स्वयं को श्रेष्ठ समझ कर, दूसरे  के अस्तित्व को अनदेखा करते हैं  तब एक छोटी सी समस्या भी विकराल रूप ले लेती है।  इस प्रकार  दांपत्य जीवन में जहां सहयोग और सम्मान होना चाहिए वह मात्र एक दोषारोपण का  कारण बन जाता है जहां पति-पत्नी का औचित्य  नहीं रह जाता ।  वे मात्र एक प्रतिद्वंदी रह जाते हैं जो हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाने हेतु आतुर रहते हैं।  तथा साथ ही एक दूसरे की छोटी सी छोटी गलती ढूंढ कर निकालना व उस पर  अनावश्यक रूप से बहस करना आदि चीजें आरंभ हो जाती हैं जो पति और पत्नी के रिश्ते को तो प्रभावित करती ही है, घर का भी माहौल खराब होता है ।             'अहम भाव' वह सर्प  है जो व्यक्ति के साथ साथ पूरे परिवार को अपने जहर से...

राष्ट्रीय युवा दिवस 2020

 आज 12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने हेतु हम और आप इस वेब संगोष्ठी पर एक साथ एकत्रित हुए हैं राष्ट्रीय युवा दिवस उस महान युगपुरुष के जयंती का दिवस है जो दिशाहीन हो चुके समाज को उचित दिशा प्रदान कर हिंदू धर्म का अपना गौरव लौटाया साथ ही विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति सभ्यता और गौरवपूर्ण इतिहास को एक विशिष्ट स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। यह उन्ही की जन्म जयंती है जो सृष्टि व ईश्वर को लेकर हृदय में फूट रहे सवाल अपार जिज्ञासाओं को शांत कराया क्या आपने भगवान को देखा है? क्या आप मुझे भगवान से साक्षात्कार करा सकते हैं ? ऐसे सवालों को सुनकर कई सिद्ध पुरुष ना केवल मौन हो जाते थे अपितु कुछ अनभिज्ञ लोग हंसी ठिठोली किया करते थे । लेकिन किसे पता था जिस सवाल पर लोग आज हंस रहे थे या मौन हो जा रहे थे । वही सवाल उस महान विभूति को उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य प्राप्ति का सशक्त माध्यम बनेगा, और ऐसे महान गुरु का सानिध्य प्राप्त कर धर्म और समाज में व्याप्त कुरीतियों से, अंधविश्वासों से मुक्ति दिलाएगा ।          *वसुधैव कुटुंबकम* की भावना से ओतप्रोत...