फैन नं १ Ep. - VI [फाइनल सॉल्यूशन???]

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                              फैन नं #१
                              Ep. - VI
                     =[फाइनल सॉल्यूशन???]=

(पिछले अंक में आपने पढ़ा कि माननीय न्यायालय ने जांच समिति को रुपर्णा के मौत की जांच हेतु केस को नये सिरे से पड़ताल करने हेतु आदेश दिये। अक्षिता और अचिन्त्या सबसे अधिक संदेही रहे । रुत्विका और राहिल दोनों अपने जीवन शैली बदल चुके थे । जांच समिति के प्रेस वार्ता करने से कुछ दिन पहले ही जांच समिति के कार्यालय से सारे दस्तावेज गायब हो गये । रुत्विका के पास एक अज्ञात कॉल आया और उसने रुत्विका को "रुपर्णा केस" से संबंधित सारे दस्तावेज लेने हेतु, एक पते पर मिलने आने की बात कही.....)
अब आगे.....

                रूत्विका थोड़ी घबरा गई । उसने सोचा कि मुझे कॉल करने वाला आखिर कौन होगा?  दिए हुए पते पर जाऊं या नहीं।
                रूत्विका थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अगले दिन सुबह..... वह दिए हुए गोदाम के पते पर पहुंची। थोड़ी देर इंतजार करने के बाद, कोई आता हुआ उसे दिखाई दिया। वह चिल्ला कर पूछी....कौन हो तुम? केस संबंधित सारे दस्तावेज कहां है? और उसके बदले में तुम्हें क्या चाहिए?  मुझे यहां अकेले बुलाने का कारण क्या है?
                अज्ञात व्यक्ति दूर से चिल्ला कर बोला - आप एक बहुत ही अच्छी अदाकारा हैं। मैं चाहता हूं कि आप अपनी कला को और निखारे, छोड़ दो सारे गलत काम।
                रूत्विका - भाषण देना बंद करो और कहां है सबूत? मुझे दे दो। उसके बदले तुम्हें जो चाहिए मिल जाएगा।
                अज्ञात व्यक्ति - मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस इतना कहने आया हूं कि तुम्हारी मां, तुम्हारे लिए जो सपने देखी थी तुम उन्हें पूरा कर दो।
                रूत्विका - ज्यादा समय बर्बाद मत कर, चुपचाप सारे सबूत मुझे दे दे।
                अज्ञात व्यक्ति - रूत्विका! मैं तुम्हें जो बोल रहा हूँ, वो करो। आपकी भलाई ही सोच कर कह रहा हूं।
                रूत्विका - वो मेरी भलाई सोचने वाले इंसान! चुपचाप सारे सबूत दे दो या फिर तुम्हारे पास कोई सबूत ही नहीं हैं। मैं भी कहां किसी के भी बात में आ गई? (रूत्विका इतना बोल वहां से जाने लगी)
                अज्ञात व्यक्ति (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) - किस बात का सबूत दूं रूत्विका....? कि पार्टी के बीच में कैसे तुमने क्रेडिट कार्ड से पैसे कटने की जानकारी अचिंत्या को दी और रुपर्णा को बताने के लिए बोली.....? कैसे पचास लाख रुपए क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने के नाम पर खर्च हुए ? फिर उन शॉपिंग में खर्च पैसों को कैसे अलग अलग खाते से एक खाते में जमा करवाया गया? या फिर अमेरिकन HVC गन किस तरह मंगाई गई? कैसे HVC का प्रयोग दरवाजे पर किया गया? जिससे तुम्हारी मां उसी समय चिपक कर मर गईं और उनकी उँगलियाँ अकड़ गई, जिसे पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट में पैसों के दम पर छुपा दिया गया था? या फिर तुमने कैसे अपने ही पापा को गुमराह कर लड़कों की मदद से पांच करोड़ रुपए मंगवाए......? कौन सा सबूत पहले दूं  ....रूत्विका?
                (रूत्विका जहां खड़ी थी वहां खड़ी की खड़ी रह गई, उसके हाथ पैर कांपने लगे) कौन हो तुम ? और तुम्हें यह सब....... कैसे पता है ?(रूत्विका थोड़ी सहमी सी आवाज़ में बोली)
                अज्ञात व्यक्ति - रूत्विका, तुम्हारी मां तुमसे बहुत प्यार करती थी.... ।।
                रूत्विका पूरे दम से चिल्लाते हुए - चुप हो जाओ तुम? वह प्यार नहीं था......बंदिशें थीं। हां...... हां... मैंने मारा है....। तो क्या ग़लत की? जब इतना कुछ जानता है तो यह भी तो जानता ही होगा कि मैंने क्यों मारा है उसे....... ?
                अज्ञात व्यक्ति - हां! अपनी अय्यासियों के लिए..... क्या तुम्हारी देर रात तक पार्टी करना, दोस्तों के साथ घूमना या ट्रिप पर जाना इतना अहम हो गया था कि तुम्हें अपनी मां को मारना पड़ा...? और तुम्हें क्या लगता है कि जब तुम चुपके से देर रात पार्टी में या दोस्तों से मिलने जाती थीं तो इसके बारे में तुम्हारी मां को कुछ पता नहीं था??? एक बार तुम उसे कह कर तो देखती  रूत्विका....????
                रूत्विका - मारती नहीं तो क्या करती... चुप रह कर उसकी.... हां में हां मिलाते रहती...? हर चीज के लिए पूछ्ना पड़ता था। बचपन से बस वही रोक टोक सुनते सुनते... सहते सहते...मैं तंग आ गई थी।
                अज्ञात व्यक्ति - तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। जिसने तुम्हे इतने कम समय में फिल्मी जगत में नाम और सम्मान दिया तुम उसे ही मार दी?????
                रूत्विका - तो अब क्या हुआ है..? मैं आज भी उतनी ही मशहूर हूं। मेरी अदाकारी ने मुझे पैसा और सम्मान दिलाया, उसकी फालतू के सलाह से प्रसिद्ध नहीं थी मै.... समझा।
                अज्ञात व्यक्ति - सच्चाई तुम्हें भी पता है रूत्विका कि अब तुम कितनी मशहूर हो ????
                खैर.... ये रहे..... सारे सबूत और जांच संबधित दस्तावेज....(अज्ञात व्यक्ति ने सभी दस्तावजों को रूत्विका के सामने आग लगा दिया।)
                रूत्विका  (आश्चर्य से पूछी...) - आखिर तुमने यह सब क्यों किया? और तुम्हें इन सबके बारे में कैसे पता चला?
                अज्ञात व्यक्ति - मुझे और बहुत सी चीजें पता है जो तुम्हें हैरान कर देगी। रूत्विका अब भी समय है...... सुधर जाओ।
                रूत्विका - क्या मतलब तुम्हारा साफ-साफ कहो क्या कहना चाहते हो?
                अज्ञात व्यक्ति - तुम्हारी मां को उनके खिलाफ रची गई साजिश के बारे में पार्टी से 2 दिन पहले ही फोन पर सब कुछ बता दिया गया था। वह चुपचाप सुनती रहीं और फिर पता नहीं अचानक से उन्होंने फोन क्यों कट कर दिया।
                रूत्विका (चौंकते हुए) - क्या..??? उन्हें सब कुछ...... पहले से पता था!!!!
                अज्ञात व्यक्ति - हां!... और पार्टी में उनकी सुरक्षा के लिए एक महिला सुरक्षाकर्मी भी गोपनीय तरीके से भेजी गई थी। ताकि उन्हें ऊपर कमरे में जाने से रोका जाए, लेकिन रुपर्णा ने तो मौत को ही गले लगाने का फैसला ले लिया था। अचिन्त्या का अचानक रुपर्णा को पार्टी से बाहर ले जाना और जानबूझकर उसकी बातों से नाराज होकर कमरे में जाना ..... इसे एक अच्छी पटकथा की तरह याद करके वह अपना किरदार निभा रही थी, और आखिर में उसने अपने आप को सारे बंधनों से मुक्त कर ली।
               रूत्विका (भावुक होकर ) - कह दो कि तुम झूठ बोल रहे हो? ऐसा नहीं हो सकता यह संभव ही नहीं है????
               अज्ञात व्यक्ति - काश.....! यह झूठ होता....रूत्विका। जब किसी को उसकी अपनी अय्याशियां सर्वोपरि लगे और उन्हें वह आजादी का नाम दें, तो कोई भी मां.... इन सबको देख कर टूट ही जाएगी। मैं बस इतना ही कहूंगा कि तुम अपनी कला को और निखार दो........ खूब मेहनत करो.... आजादी..... अपनी खूबियों को दो और तुम्हारी मां.....जो जगह तुम्हें दिलाना चाहती थी उसे प्राप्त करो।
               रूत्विका (सिर झुकाकर रोते हुए धिमी आवाज में) - यह कैसे हो सकता है???? किसने मां को फोन कर योजना के बारे में पूरी जानकारी दी होगी? उसने घर के बाकी लोगों को इसके बारे में क्यों नहीं बताया?
               अज्ञात व्यक्ति(समझाते हुए) - तुम्हारी मां एक अच्छी अदाकारा ही नहीं बल्कि एक होनहार होशियार महिला थी। वह तुम्हें और राहिल को शुरू से ही बराबर प्यार देने का प्रयास करती रही। शायद! वह असफल रही...। कोई नहीं.... जो होना था वह हो गया.....!! तुम इस दुनिया की अदालत से आजाद हो...रूत्विका..!!
   (अज्ञात व्यक्ति गोदाम से बाहर जाने लगा )
                रूत्विका( प्रायश्चित भरे आवाज में) आखिर कौन हो... तुम????
                अज्ञात व्यक्ति(जाते हुए चिल्ला कर बोला) -कल प्रेस वार्ता में मिलते हैं....!!!
                अगले दिन प्रेस वार्ता में अचिंत्या, रूत्विका, राहिल और अक्षिता सब पहुंचे। रूत्विका की निगाहें उसी व्यक्ति को ढूंढ रही थी। सभी जांच समिति के कर्मचारी व मुख्य जांच अधिकारी हॉल में प्रवेश किए । रूत्विका की नजरें ठहर गईं। वह अज्ञात व्यक्ति और कोई नहीं केंद्र से आए मुख्य जांच अधिकारी डॉ. लोकित हरिदर्शन सिन्हा जी थे। रूत्विका ने मानो अपने प्राण त्याग दी हो। जांच समिति ने प्रेस को "रुपर्णा केस" से संबंधित सारे जाली दस्तावेज दिखाते हुए उनकी मृत्यु हृदय घात से होने की बात पुष्टि की। प्रेस वार्ता खत्म होने के बाद डॉ. लोकित हरिदर्शन सिन्हा जी अकेले मंच से सीधा नीचे आकर अचिंत्या, रूत्विका, राहिल और अक्षिता से मिलने पहुंचे। सबसे बात करने के बाद वे रूत्विका को बोले - आप भविष्य की महानायिका हो। अपने मां के सपनों को पूरा करो। (रूत्विका के आंखों से आंसू बहने लगे)
                उन्होंने (रूत्विका को कागज एक टुकड़ा देते हुए कहा) - मैं तो रुपर्णा की एक चीज तुम्हें लौटाना ही भूल गया था!! यह लो...
                रूत्विका ने उस कागज के टुकड़े को खोलकर देखा उसमें लिखा था- फैन नं #1 विथ लव लोक्या....... "राधिका"(नीचे आटो ग्राफ था)
                रूत्विका ( रोते हुए,उनसे लिपट कर बोली) - लोक्या अंकल..!!! मुझे माफ़ कर दो...!!!!
                सिन्हा सर (रूत्विका को संभालते हुए)- जो हुआ उसे भूल जाओ । अब नए सिरे से शुरुआत करो। हम सब तुम्हारे साथ हैं..!!!
                इतने में अचिंत्या बोला, लोक्या...??? मतलब .... गुरूजी के बेटे हैं आप?? (राहिल और अक्षिता भी उनकी ओर देखते हुए)
                सिन्हा सर (मुस्कुराते हुए बोले..!) - हां!! मैं ही हूं....लोक्या !!!!
                अक्षिता- पर आप तो ....????
                सिन्हा सर -  जी....जी..! आप लोगों ने जो सुना था वह सब सही है।
                राहिल(उतावला होकर) पूछा - गुरूजी कहां हैं?????(सब लोग सिन्हा सर को जिज्ञासा के साथ देखते हैं)
                सिन्हा सर ( कुर्सी पर बैठे एक बुजुर्ग व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए.!!!) कहते हैं- जरा...! पीछे मुड़ कर उस आखिरी कुर्सी को देखिए...!
               
                सभी पलट कर देखते हैं!!!!!!

                 
              
                 (पहला सीजन समाप्त.!!!..मिलते हैं अगले सीजन में.......गुरूजी और लोक्या....माफ कीजिए...😜😜😜..डॉक्टर सिन्हा सर जी की कहानी के साथ😁😁😁😁😁 )
🙏🙏🙏💐💐🙏🙏🙏
धन्यवाद!

लेखक,
लक्ष्मीकांत वैष्णव

               फैन नं-१ के सभी भाग को पढ़ने के लिए निम्नलिखित लिंक से सर्च कर पढ़ सकते हैं -

भाग- १

http://laxmikantvaishnaw.blogspot.com/2021/06/epi.html

भाग-२

http://laxmikantvaishnaw.blogspot.com/2021/06/ep-ii.html

भाग-३

http://laxmikantvaishnaw.blogspot.com/2021/06/ep-iii.html

भाग-४

http://laxmikantvaishnaw.blogspot.com/2021/07/ep-iv.html

भाग-५

http://laxmikantvaishnaw.blogspot.com/2021/07/ep-v-unknown-call.html
               
               






               
               
                 

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