दाम्पत्य जीवन में जहर घोलता है अहम्.....
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दाम्पत्य जीवन में जहर घोलता है अहम -
पति-पत्नी दांपत्य जीवन के 'आधार स्तंभ' हैं । यह आधार स्तंभ समानता और आदर भाव के बल पर टिका हुआ है।
जब हम स्वयं को श्रेष्ठ समझ कर, दूसरे के अस्तित्व को अनदेखा करते हैं तब एक छोटी सी समस्या भी विकराल रूप ले लेती है। इस प्रकार दांपत्य जीवन में जहां सहयोग और सम्मान होना चाहिए वह मात्र एक दोषारोपण का कारण बन जाता है जहां पति-पत्नी का औचित्य नहीं रह जाता । वे मात्र एक प्रतिद्वंदी रह जाते हैं जो हमेशा एक दूसरे को नीचा दिखाने हेतु आतुर रहते हैं। तथा साथ ही एक दूसरे की छोटी सी छोटी गलती ढूंढ कर निकालना व उस पर अनावश्यक रूप से बहस करना आदि चीजें आरंभ हो जाती हैं जो पति और पत्नी के रिश्ते को तो प्रभावित करती ही है, घर का भी माहौल खराब होता है ।
'अहम भाव' वह सर्प है जो व्यक्ति के साथ साथ पूरे परिवार को अपने जहर से प्रभावित करता है । अहम रूपी सर्प का दमन दांपत्य जीवन में आवश्यक है। तभी हम एक दूसरे का सहारा भी बन सकते हैं तथा एक अच्छे मार्गदर्शक भी हो सकते हैं जो हमारे दांपत्य जीवन को एक अच्छा स्वरूप प्रदान कर सकता है।
रुचिर , सुरम्य, 👏👏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.... 🙏🙏
हटाएंWaah
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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