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अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

The Uniform

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Poster designed by me...                   लघु कथा - "यूनिफॉर्म"                 दोपहर का समय था। एक दुबली पतली लड़की बस से उतरी। उसके साथ एक महिला भी थी। दोनों अपना-अपना सामान उठाकर आगे जाने लगे। उन्हें सामने से आते देखकर कुछ लड़के छींटाकशी करने लगे। वहीं पड़ोस के एक लड़के मन्नू ने ......उन लड़कों को यह सब ना करने को कहा, तो उन बदमाश लड़कों ने मन्नू को धमका चमका कर चुप करा दिया। वह लड़की और महिला वहीं रहने के लिए किसी परिचित के घर आए थे। दो-तीन दिन बाद बहुत सारे लड़के उस मोहल्ले में आते जाते दिखने लग गए। आस पड़ोस के लोग उन लड़कों को कुछ कहने के बजाय, मोहल्ले में आई उस लड़की के बारे में ही अफवाह भरी बातें करने लग गए थे। एक हफ्ते बाद उस लड़की के परिचित के घर के सामने पुलिस अधिकारी की गाड़ी सिपाही चालक के साथ वहां पहुंची, फिर भी सभी लड़के अपनी कॉलर खड़े कर वहां चाय के ठेले और दुकान के सामने बैठे रहे। थोड़ी देर में ..... सबके मुंह खुले के खुले रह गए.... पुलिस यूनिफॉर्म पहने वही दुबली पतली लड़की...

लघु कथा- हमारी पाठशाला

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Poster designed by me. Courtesy google image.                   "हमारी पाठशाला"               एक व्यक्ति की नौकरी अध्यापक के रूप में वनांचल में लगी। पहली नौकरी थी, तो उत्साह और उमंग उन्माद भरे अध्यापन कार्य हेतु प्रस्फुटित हो रहा था। कक्षा में बच्चे भी नए अध्यापक के जोश और प्रेम पाकर बहुत खुश हुआ करते थे।                अध्यापक ने बच्चों की उपस्थिति पंजी का निरीक्षण किया, तो दिखा कि सभी बच्चे हमेशा विद्यालय आते हैं। अध्यापक ने सोचा बच्चे विद्यालय के प्रति बहुत ही सजग होंगें। अध्यापक जी ने बच्चों के ज्ञान का परीक्षण किया तो पाया कि अन्य क्रियाकलापों और व्यावहारिकता को छोड़कर, बच्चों का विद्यालयीन गतिविधियों में कोई रुचि नहीं था।               अध्यापक ने बच्चों से पूछा - आप सभी बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में अधिक है, उसके बावजूद भी आपको पढ़ने लिखने में रुचि क्यों नहीं?  सभी बच्चे शांत थे।  तभी बच्चों के बीच म...

लघु कथा- संस्कार

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Image courtesy - google search                 लघु कथा - "संस्कार"           लगभग शाम को 4:00 या 4:30 बज रहे थे। मैं बरामदे पर टहल रहा था उसी समय कुछ बच्चे नीचे खेल रहे थे। तभी वहां एक अनजान बच्चा, जो शायद! अपनी मां से बिछड़ गया था। उसके हाव भाव से साफ पता चल रहा था कि वह बहुत परेशान है। देख कर प्रतीत हो रहा था कि वह काफी दूर से रोते बिलखते आ रहा होगा।             तभी जो बच्चे खेल रहे थे, उन्हीं बच्चों में से एक बच्चे की नजर उस रोते बिलखते बच्चे पर पड़ी, और उसने अपने मित्र मंडली के साथ कुछ योजना बनानी शुरू कर दी, फिर सभी अलग अलग होकर पेड़ के पीछे, कोई दीवार के पीछे, कोई कहीं पर, छुप गए और सब के हाथ में छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़े थे।               उन्हीं बच्चों में से एक बच्चे की नजर मुझ पर पड़ी, उसने बड़ी विनम्रता के साथ अपनी आंखें झुका कर वहां से निकलकर आगे जाने लगा। उसके साथी लोगों ने उससे पूछा कि कहां जा रहा है ? तो उसने अपनी आंख से ही...

फैन नं १ Ep. - VI [फाइनल सॉल्यूशन???]

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poster designed by me.                               फैन नं #१                               Ep. - VI                      = [फाइनल सॉल्यूशन???] = (पिछले अंक में आपने पढ़ा कि माननीय न्यायालय ने जांच समिति को रुपर्णा के मौत की जांच हेतु केस को नये सिरे से पड़ताल करने हेतु आदेश दिये। अक्षिता और अचिन्त्या सबसे अधिक संदेही रहे । रुत्विका और राहिल दोनों अपने जीवन शैली बदल चुके थे । जांच समिति के प्रेस वार्ता करने से कुछ दिन पहले ही जांच समिति के कार्यालय से सारे दस्तावेज गायब हो गये । रुत्विका के पास एक अज्ञात कॉल आया और उसने रुत्विका को "रुपर्णा केस" से संबंधित सारे दस्तावेज लेने हेतु, एक पते पर मिलने आने की बात कही.....) अब आगे.....       ...