फैन नं १ Ep.I [गुरूजी का साथ]

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                        फैन नं #१
          =गुरूजी का साथ (Ep. - I)=

                      राधिका एक बहुत ही होनहार और बहुत ही प्यारी लड़की थी। साथ ही उसे अभिनय का बहुत ही शौक था। जब भी स्कूल में कोई भी कार्यक्रम होता था। वह विभिन्न प्रकार के नाटक, व्यंग्य और नृत्य कला के द्वारा सबको मोह लेती थी। राधिका को राज्य स्तर तक कई पुरस्कार मिल चुके थे। राधिका के कला को निखार गांव में स्कूल के एक ऊर्जावान और हमेशा बच्चों को प्रेरित करने के लिए कार्यरत विज्ञान विषय के गुरुजी दिया करते थे। गुरुजी सभी बच्चों के कला को समान सम्मान करते थे। उनके लिए जो कुछ करना पड़े वह हर संभव प्रयास करते थे। उन्हीं सब बच्चों में से एक राधिका भी थी। उन्होंने राधिका की कला को निखारने हेतु अपने सहयोगी शिक्षिकाओं तथा अपने क्षेत्र के और विभिन्न कलाकारों को बुलाकर उसको प्रशिक्षण भी दिलवाते थे । शायद उन्हें राधिका की खूबियों का पता चल गया था और उन्हें आभास हो गया था कि भविष्य राधिका का इंतजार कर रहा है। 
              गुरुजी, राधिका के परिवार वालों से मिलकर उन्हें समझाते थे और बताते थे कि भविष्य में राधिका बहुत ही अच्छी कलाकार बन सकती है। आप इसे प्रोत्साहन दें। राधिका के माता पिता भी गुरुजी की बातों को कभी नहीं काटते थे, क्योंकि गुरुजी बहुत से बच्चों के भविष्य बना चुके थे।
              गुरुजी का एक बेटा था। गुरुजी उसे लोक्या कह के बुलाते थे। लोक्या को पढ़ने लिखने का बहुत शौक था । गुरुजी उसे राधिका के अभिनय प्रशिक्षण को दिखाने भी ले जाया करते थे। पर उसे अभिनय में कोई रुचि नहीं थी, फिर भी गुरुजी के साथ वह जरूर जाता था। लोक्या और राधिका के बीच बहुत ही अच्छी दोस्ती हो गई थी।  लोक्या को राधिका का अभिनय बहुत अच्छा लगता था। 
              ऐसे ही एक दिन राधिका, लोक्या से पूछती है कि तुम गुरुजी के साथ अभिनय देखने आते हो, पर खुद अभिनय नहीं करते क्यों? लोक्या कहता है कि मुझे अभिनय का शौक नहीं है । मैं पढ़ लिखकर देश की सेवा करना चाहता हूं। तब राधिका कहती है वाह ! बहुत सुंदर विचार हैं। लोक्या कहता है कि तुम्हारा अभिनय और नृत्य कला बहुत ही सुंदर है। वास्तव में तुम्हारे अंदर बहुत बड़ी कलाकार छिपी हुई है। तभी गुरुजी वहां आते हैं और कहते हैं हां .....बेटा! राधिका का ऑटोग्राफ ले लो क्योंकि जब वह बड़ी अदाकारा बन जाएगी। तब शायद ही तुम्हें पहचानेगी । अगर ऑटोग्राफ रहेगा तो उसे दिखाना , तब शायद तुम्हें पहचान ले। इतना कह कर गुरुजी जोर जोर से हंसते हैं । तब लोक्या ने राधिका के सामने सच में एक कागज ऑटोग्राफ के लिए रख दिया। राधिका शर्माते हुए मना कर रही थी। पर गुरुजी के कहने पर उसने कागज पर अपना ऑटोग्राफ दे दी। 
              मौसम बदलते गए और बहुत जल्द  राधिका के जीवन में एक नया मोड़ आने वाला था। गुरुजी ने राधिका के सपनों को पंख देते हुए उसे माया नगरी मुंबई जाने हेतु सुझाव दिए। उनके परिवार वालों ने भी गुरुजी के बातों का समर्थन किया। राधिका चुप चाप एक जगह बैठी थी। तब गुरूजी राधिका के पास जाकर पूछते हैं - राधिका मुंबई जाने से डर लग रहा है क्या? राधिका मुस्कुराई और बोली नहीं गुरूजी! जब आपका साथ हो तो फिर डर किस बात का। गुरुजी और राधिका थोड़ी देर साथ बैठकर बात किए, फिर आशीर्वाद देकर गुरजी वहां से चले गए। 
              कुछ दिनों के बाद गुरुजी ने अपने एक मित्र से बात करके उनके रहने की सभी व्यवस्था और सुरक्षा मुंबई में सुनिश्चित करने हेतु कहा। जैसे ही खबर प्राप्त हुई राधिका और उसके माता-पिता को गुरुजी ट्रेन से मुंबई भेज दिए। 

{मुंबई राधिका के सपनों को हकीकत में बदलेगी या कुचलेगी ?.... अगले अंक में...👀🙏🙏 }                       

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