मोबाइल - एक गिफ़्ट -३ [ पैसों का जुगाड़ ]
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= मोबाइल - एक गिफ़्ट =
< भाग - ३ >
[ पैसों का जुगाड़ ]
कहानी अंक - २ में अब तक......
राहुल, महेश को उसके जन्मदिन पर गिफ़्ट मे मोबाइल देता है और साथ ही मिथिलेश के एक्सीडेन्ट के बारे में बताता है। जैसे ही मिथिलेश, महेश के घर पहुँचता है, महेश उससे माफ़ी मांगता है । राहुल और मिथिलेश के बार बार पुछने पर महेश अपने उदास होने का कारण बताता है कि... जिस बाईक वाले के कारण मिथिलेश गिरा वह बाईक वाला कोई और नहीं महेश खुद था ।
[ अब आगे...... ]
महेश( मिथिलेश की ओर घबराते हुए देख कर कहता है )- मैं ..तुझे गिराना नहीं चाह रहा था। मैं तो बस चुपके से तेरे पीछे पॉकेट से मोबाइल निकालना चाह रहा था। फिर शाम को जब तू आता तब तुझे वह मोबाइल मैं दे देता। मैं सिर्फ तुझे परेशान करने के लिए ऐसा कर रहा था। और पता नहीं कैसे मेरे बाइक का हैंडल तेरे बाइक से टकराया और उसी चक्कर में तू अनबैलेंस हो गया । सॉरी! यार मेरी वजह से तू गिर गया ।
मिथिलेश और राहुल थोड़ी देर के लिए शांत हो जाते हैं और एक दूसरे को देखते हैं। फ़िर महेश को उदास देख कर....... बोलना तो बहुत कुछ चाह रहे थे.. पर... बर्थ डे है, सोच कर थोड़ा झिझकते हुये हंसते हैं ।
राहुल, महेश को कहता है ( थोड़ा गम्भीर होकर )- अरे भाई ! ऐसा कौन किसी को परेशान करता है ? तू भी ना बेवकूफ टाइप का काम करता है । अगली बार कभी भी ऐसी गलती मत करना और दुर्घटना...... बड़ी भी हो सकती थी दोस्त..... दोनों के लिए। अब क्या बोलें तुझे, तेरा बर्थ डे है, मूड आॅफ़ मत कर और तु भी सेफ़्टी से रहा कर मिथिलेश ।
मिथिलेश - हां भाई ! सही बात है आज से मैं मोबाइल सेफ रखूंगा और बाइक भी सावधानी से चलाऊंगा।
इतने में मिथिलेश ( मन में अपने आप को कहता है )- बच गया तू। अगर मेरे बाइक को ज्यादा खरोच या निशान पड़े रहता न तो यही नया मोबाइल वापस ले कर पूरे पैसे वसूल लेता और फिर तुझे सॉरी बोल देता । मन तो कर रहा मोबाइल वापस ले लूं। लेकिन खैर छोड़....!
तभी मिथिलेश (मुस्कुराकर) महेश को गले लगा कर बोलता है - चल छोड़ इस बात को.... पार्टी इंजॉय करते हैं। ( राहुल की ओर देखते हुए मिथिलेश अपना दर्द इशारा करके बताता है । राहुल सिर झुका के हंसता है । )
राहुल - अब यहीं खड़े रहेंगे या खाना भी खायेंगें।
महेश - हाँ! हाँ! चलो ... चलो.....खाना खाते हैं ....
( खाना खाते समय )
महेश - भाई लोग मैं यह मोबाइल नहीं ले सकता । साॅरी! यार ।
राहुल - तू काहे चिंता करता है । यह हम दोनों की तरफ से गिफ्ट है ।
महेश - फिर भी यार इतना महंगा फोन मैं नहीं रख सकता , क्योंकि तुम लोग भी अभी कमाते कहां हो?
मिथिलेश - तू चिंता क्यों करता है ? हम दोनों ने अपने पॉकेट मनी से लिया है।
महेश - पॉकेट मनी से इतने पैसे कैसे में ?
मिथिलेश - भाई ! कुछ पैसा पॉकेट मनी का और कुछ पैसा मेरे पास एक पुराना मोबाइल पड़ा हुआ था वो और राहुल के पास भी एक पुराना मोबाइल था । उसे बेच कर यह मोबाइल लिये हैं भाई ।
इतने में राहुल बीच में दोनों को टोकते हुये कहता है - मोबाइल तो ऑन कर और चल खाना खाते खाते सेल्फी लेते हैं । उसके बाद महेश मोबाइल ऑन करता है। फिर तीनों सेल्फी लेते हैं ।
( खाना खाते खाते अचानक )
महेश, मिथिलेश से पूछता है - कल रात को तू घर आया था..... कैसे?
मिथिलेश बहुत ही मासूमियत के साथ कहता है, हां ! वो तेरा पुराना मोबाइल लेने के लिए आया था ।
महेश - वो तो चालू भी नहीं हो रहा था, बनवाने के लिए दे दिया क्या?
मिथिलेश (एकदम साधारण तरीके से) - पागल है क्या ? उसको मैं क्यों बनवाऊंगा ?
महेश (आश्चर्य के साथ ) - फिर काहे ले गया मोबाइल को ।
मिथिलेश - नए मोबाइल के लिए कुछ पैसे कम पड़ रहे थे। फिर तेरा बर्थडे केक भी लेकर के आना था । तो उसे बेचने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था, इसलिए मैंने तेरा पुराना मोबाइल ही बेच दिया। भाई इसे कहते हैं दिमाग । मोबाइल से मोबाइल के लिए पैसों का जुगाड़...... कैसा लगा? वैसे भी उस शाॅर्ट टर्म मेमोरी वाले मोबाइल में गेम के अलावा कुछ था भी नहीं ।
(मिथिलेश अपने ऊपर गर्व महसूस करते हुए कहता है।)
राहुल ये सब सुनते हुऐ चुपचाप खाना खाये जा रहा था ।
तभी महेश( थोड़ी चिन्ता में) राहुल से पूछता है - क्या तुझे पता था कि यह मेरा मोबाइल बेचने वाला है ?
राहुल खाना खाते-खाते नीचे सिर झुका के हंसता है....
इतने में मिथिलेश भी हँसना शुरू कर देता है......
महेश थोड़ा चिन्तित होता है फ़िर दोनों को हँसते हुए देख कर वह भी हँसता है।
राहुल, महेश से पार्टी साँग लगाने को कहता है । महेश जाकर होम थियटर पर गाना चलाता है तभी...
मिथिलेश ( सिर हिला कर इशारा करते हुये ) - राहुल सुन ..... मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि महेश हमसे कुछ छुपा रहा है।
राहुल - क्या छुपा रहा है ?
मिथिलेश - मैं यकिन से तो नहीं कह सकता लेकिन वो बाईक वाला महेश नहीं था। ( थोड़ा गम्भीर होकर )
राहुल ( मजाकिया अंदाज में )- अरे भाई! ज्यादा जासूस वाली मूवी मत देखा कर। अगर कुछ बात होती न, तो महेश जरूर बताता और तू ही बता... उसे झूठ बोलने की क्या जरूरत पड़ गयी । चल छोड़ अब इस बात को.... और सुन.... तेरा बाईक भी सही सलामत है ।( राहुल जोर से हंसता है और मिथिलेश को गुदगुदाता है । )
[ दोस्तों की दोस्ती को समर्पित भाव - ]
=खास रिश्ता=
दोस्ती एक विश्वास है,
थोड़ी नहीं बहुत खास है ।
सम्भल के निभाना यह रिश्ता,
ऐसे ही यह नहीं मिलता ।।१।।
झगड़े हों या प्रेम, स्नेह, सम्मान,
धैर्य सीखाती, नित रखती यह ध्यान ।।२।।
प्रार्थना है उस परमशक्ति से,
जले न कोई दोस्ती से ।
देना सबको दोस्त ऐसा,
जो अकेले में ........
साथ रहे .... हमेशा ।।३।।
हरदम लगे जो आस पास है...
दोस्ती एक विश्वास है,
थोड़ी नहीं बहुत खास है ।।४।।
🙏☺🙏
- लक्ष्मीकान्त वैष्णव 'मनलाभ'
Wah mitra bhut behtrin lekh h , acha dost milna kismat ki bat hoti h
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर जी 💐💐🙏🙏🙏☺
हटाएंBahut badhiya bhai...maja aagaya
जवाब देंहटाएंthnq sooo much🙏🙏💐💐💐
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जवाब देंहटाएं🙏🙏💐💐💐💐☺☺☺☺thnq so..much
हटाएं👌🏻👌🏻👍
जवाब देंहटाएंThnq....☺💐💐💐🙏
हटाएं👍🏽👍🏽
जवाब देंहटाएंThnq....💐💐💐💐☺☺☺☺☺🙏
हटाएंBahut hi kamal ki rachna hai mitra...🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंBahut bahut dhanyavaad...mitra..☺☺💐💐🙏🙏
हटाएंDost bahut hi anmol hote h laxmi ji.
जवाब देंहटाएंAur ye rachna usi ka udaharan h bahut badhiya.
Bahut bahut dhanyavaad mahoday......💐💐☺☺🙏🙏🙏🙏
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